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वृक्ष हों भले खड़ेहों घने, हों बड़ेएक पत्र छाँह भीमांग मत! मांग मत! मांग मत!अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!तू न थकेगा कभीतू न थमेगा कभीतू न मुड़ेगा कभीकर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!यह महान दृश्य हैचल रहा मनुष्य हैअश्रु-स्वेद-रक्त सेलथ-पथ! लथ-पथ! लथ-पथ!अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!